Best Essay on Noise Pollution in Hindi | ध्वनि प्रदूषण पर निबंध हिन्दी में

आपको यदि ध्वनि प्रदूषण पर प्रस्तावना सहित एक निबंध लिखना है तो हमारे द्वारा लिखे गए Essay on Noise Pollution in Hindi की मदद ले सकते है।

यह निबंध Class 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 आदि सभी कक्षाओं के लिए है जिनमें ध्वनि प्रदूषण पर निबंध लिखने को आता है। हम अपने Essay on Noise Pollution in Hindi को ध्वनि प्रदूषण के सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए लिखे हुए हैं।

ध्वनि वह तत्व है जिसका आभास हमें हमारे कानों के द्वारा होता है। किसी वस्तु के कंपन से ध्वनि उत्पन्न होती है। ध्वनि की  तीव्रता को शोर कहते हैं। अंग्रेजी का शब्द लैटिन के शब्द से लिया गया है। इस अदृश्य प्रदूषण से कई गंभीर बीमारियों का जन्म हुआ है।

250-words-essay-on-noise-pollution-in-hindi-for-students
Essay on Noise Pollution in Hindi for Students

संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1972 में असहनीय ध्वनि को प्रदूषण का अंग ही माना है। तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण एवं यातायात के कारण ध्वनि प्रदूषण एक गंभीर समस्या के रूप में उभरा है और इसका कुप्रभाव मानव के ऊपर ही नहीं बल्कि पशु, पक्षियों एवं वनस्पतियों पर भी पड़ता है।

ध्वनि प्रदूषण आधुनिक समस्या नहीं है। 2500 वर्ष पूर्व पुरानी यूनान की साइबर नामक  कॉलोनी के लोगों ने शोर के नियंत्रण के उपाय का पता था। उन्होंने सुरक्षित निद्रा के लिए कानून बनाए  ताकि वहां की नागरिक शांतिपूर्ण निद्रा ले सकें। जुलियस सीजर ने भी ऊंची ध्वनि पर प्रतिबंध लगाया था और उन रथों के रात में चलने पर पाबंदी थी जिनके चलन से रात में शोर होता था।

वेबपेज अनुक्रमणिका देखें!

ध्वनि प्रदूषण पर निबंध प्रस्तावना एवं उपसंहार सहित (Essay on Noise Pollution in Hindi)

प्रस्तावना :-

पर्यावरण प्रदूषण का एक अन्य रूप ध्वनि प्रदूषण भी है। ध्वनि  को शोर की श्रेणी में रखा जा सकता है। भले ही यह शोर कल कारखानों का हो, रेलगाड़ियों या अन्य वाहनों का हो, लाउडस्पीकर  हो तथा रसोई घरों में बर्तनों का हो। स्पष्ट है कि हर क्षेत्र में शोर ही शोर है। शोर भले ही एक साधारण सी घटना है, परंतु इसका गंभीर एवं प्रतिकूल प्रभाव हमारे शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर निरंतर पढ़ता रहता है।

नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक राबर्ट काक के अनुसार, “एक दिन ऐसा आएगा जब मनुष्य को स्वास्थ्य के सबसे बुरे शत्रु के रूप में शोर से संघर्ष करना पड़ेगा।” वास्तव में ध्वनि या शोर की तीव्रता ही ध्वनि प्रदूषण है।

ध्वनि की तीव्रता का मापन करने की इकाई डेसीबल है। विभिन्न सर्वेक्षणों एवं अध्ययनों द्वारा ज्ञात हुआ है कि 100 डेसीबल ध्वनि का व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि निरंतर लंबे समय तक 85 डेसीबल तीव्रता की ध्वनि का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इस तथ्य को ध्यान में रखकर विभिन्न राष्ट्रों ने शोर की सीमा75 डेसीबल व 85 डेसीबल के मध्य निर्धारित की है। इससे अधिक तीव्रता की ध्वनि को ध्वनि प्रदूषण माना जाता है।

ध्वनि प्रदूषण की परिभाषा :-

“शोर एक ऐसी ध्वनि है, जो किसी व्यक्ति को अवांछनीय लगती है और उसकी कार्यक्षमता (Efficiency) को प्रभावित करती है।”

जे टिफिन के अनुसार

“शोर का अवांछनीय ध्वनि है, जो की थकान बढ़ती है और कुछ औद्योगिक परिस्थितियों में बहरेपन का कारण बनती है।”

हटल के अनुसार

ध्वनि प्रदूषण क्या है?

ध्वनि तरंगों के रूप में कार्य करती है। जब ध्वनि तरंगों मैं ऊर्जा की मात्रा आवश्यकता से अधिक हो जाती है तो इंधन तरंगों को फैलने से सभी जीवों में मानसिक अशांति एवं अन्य बीमारियों का संचार शुरू हो जाता है। ध्वनि प्रदूषण एक ऐसा प्रदूषण है जो ध्वनि तरंगों की ऊर्जा को बढ़ा देता है।

ध्वनि प्रदूषण की माप कैसे करते हैं ?

ध्वनि की तीव्रता को मापने के लिए  डेसीबल इकाई निर्धारित की गई है।मनुष्य की क्षमता 30 Hz से 20,000 Hz तक की ध्वनि तरंगों के लिए बहुत अधिक संवेदनशील है, लेकिन सभी ध्वनि मनुष्यों को नहीं सुनाई देती है । डेसी का अर्थ है 10 और वैज्ञानिक ग्राहम बेल के नाम से “बेल” शब्द लिया गया है।

ध्वनि प्रदूषण के मानक :-

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार निद्रावस्था में आसपास के वातावरण में 35 डेसीबल से ज्यादा शोर नहीं होना चाहिए और दिन का शोर भी 45 डेसीबल से अधिक नहीं होना चाहिए।

ध्वनि प्रदूषण के श्रोत या ध्वनि प्रदूषण के कारण :-

(01) प्रकृतिक स्रोत –

प्राकृतिक क्रियाओं के फलस्वरूप भी ध्वनि प्रदूषण होता है। परंतु प्राकृतिक ध्वनि प्रदूषण अपेक्षाकृत अल्पकालीन होता है तथा हानि भी कम होती है। शोर के प्राकृतिक स्रोतों के अंतर्गत बादलों की गड़गड़ाहट, बिजली की कड़क, तूफानी हवाएं आदि से मनुष्य असहज महसूस करता है, परंतु बूंदों की छम छम, चूड़ियों की कलरव और नदियों, झरनों कि कल कल फोन मनुष्य में आनंद का संचार भी करती है।

(02) मानवीय स्रोत –

मनुष्य के द्वारा किए जाने वाले कार्यों के कारण होने वाले शोर को ध्वनि प्रदूषण की श्रेणी में रखा गया है  बढ़ते हुए शहरीकरण, खनन के कारण शोर की समस्या गंभीर रूप  लेती जा रही है वस्तुतः शोर और मानवीय सभ्यता सदैव साथ रहेंगे। ध्वनि प्रदूषण के प्रमुख मानवीय स्रोत निम्न है –

  • (01) उद्योग :-
    • लगभग सभी औद्योगिक क्षेत्र ध्वनि प्रदूषण से प्रभावित हैं कल कारखानों में चलने वाली मशीनों से उत्पन्न आवाज गड़गड़ाहट इसका प्रमुख कारण है ।
    • ताप विद्युत घर में लगे बॉयलर, टरबाइन काफी शोर उत्पन्न करते हैं । अधिकतर उद्योग शहरी क्षेत्रों में स्थापित है, अतः यहां ध्वनि प्रदूषण की तीव्रता अधिक है।
  • (02) परिवहन के साधन :-
    • ध्वनि प्रदूषण का एक प्रमुख कारण परिवहन के विभिन्न साधन भी है। परिवहन के सभी साधन कम या अधिक मात्रा में ध्वनि उत्पन्न करते हैं। इससे होने वाला प्रदूषण बहुत अधिक क्षेत्र में होता है।
    • वर्ष 1950 में भारत में कुल वाहनों की संख्या 30 लाख थी। आज पूरे 70 वर्ष के बाद भारत में कुल वाहनों की संख्या 40 करोड़ के पार हो गई है। इन वाहनों के द्वारा होने वाले ध्वनि प्रदूषण बहुत ही अधिक मात्रा में हैं।
  • (03) मनोरंजन के साधन :-
    • मनुष्य अपने मनोरंजन के लिए विभिन्न साधनों का उपयोग करता है। वह टीवी, रेडियो, टेप रिकॉर्डर, म्यूजिक सिस्टम जैसे साधनों द्वारा अपना मनोरंजन करता है परंतु इससे उत्पन्न तीव्र ध्वनि का कारण बन जाती है। 
    • विवाह सगाई इत्यादि कार्यक्रमों , धार्मिक आयोजनों, मेलो, पार्टियों में लाउडस्पीकर का प्रयोग और डी जे के चलन भी ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है।
  • (04) निर्माण कार्य :-
    • विभिन्न निर्माण कार्यों में  विभिन्न मशीनों और औजारों के प्रयोग के फलस्वरूप ध्वनि प्रदूषण बढ़ जाता है।
  • (05) आतिशबाजी :-
    • हमारे देश में विभिन्न अवसरों पर की जाने वाली आतिशबाजी भी ध्वनि प्रदूषण का मुख्य स्रोत है। विभिन्न त्योहारों और उत्सवों,मेलों सांस्कृतिक वैवाहिक समारोह में आतिशबाजी एक आम बात है।
    • मैच या चुनाव जीतने की खुशी भी आतिशबाजी द्वारा व्यक्त की जाती है। परंतु इन आतिशबाजी से वायु प्रदूषण तो होता ही है साथ ही ध्वनि तरंगों की तीव्रता भी इतनी अधिक होती है, जो ध्वनि प्रदूषण जैसी समस्याओं को जन्म देती है।
  • (06) अन्य कारण :-
    • विभिन्न सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक रैलियों श्रमिक संगठनों की रैलियों का आयोजन इत्यादि अवसर पर एकत्र जन समूहों के वार्तालाप से भी ध्वनि तरंग की तीव्रता अपेक्षाकृत अधिक होती है।
    • इस प्रकार प्रशासनिक कार्यालयों और स्कूलों, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन पर भी विशाल जनसंख्या के शोरगुल के फलस्वरूप भी ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न होता है।
    • इस प्रकार अन्य छोटे- छोटे कई ऐसे कारण हैं जो ध्वनि प्रदूषण को जन्म देते हैं। जैसे कम चौड़ी सड़कें, सड़क पर सामान बेचने वाली के लिए कोई योजना न होना, ओवर में ज्यादा ट्रैफिक।

ध्वनि प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य समस्याएं (कुप्रभाव)

शोर से उत्पन्न प्रदूषण एक धीमी गति वाला मृत्यु दूत है। ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को चार वर्गों में विभाजित किया जा सकता है।

  1. सामान्य प्रभाव
  2. श्रवण संबंधी प्रभाव
  3. मनोवैज्ञानिक प्रभाव
  4. शारीरिक प्रभाव

(01) सामान्य प्रभाव – ध्वनि प्रदूषण द्वारा मानव वर्ग पर पड़ने वाले प्रभावों के अंतर्गत भूलने में व्यवधान, चिड़चिड़ापन, नींद में व्यवधान तथा इनकी संबंधित पक्ष प्रभाव एवं उनसे उत्पन्न समस्याओं को सम्मिलित किया जाता है।

(02) श्रावण संबंधी प्रभाव – विभिन्न प्रयोगों के आधार पर यह ज्ञात हुआ है कि ध्वनि की तीव्रता जब 90 डेसीबल से अधिक हो जाती है तो लोगों की श्रवण क्रियाविधि में विभिन्न मात्रा में श्रवण क्षीणता होती है। श्रवण क्षीणता निम्न कारकों पर आधारित होता है – शोर की अबोध ध्वनि तरंग की आवृत्ति तथा व्यक्ति विशेष कि शोर की संवेदनशीलता।

लखनऊ में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभावों का अध्ययन करने के लिए ऐसे लोगों पर शोध किया गया जो लगातार 5 साल से 10 घंटे से अधिक समय शोर-शराबे के बीच गुजारते है। देखने में आया 55% लोगों की सुनने की ताकत कम हो गई है।

(03) मनोवैज्ञानिक प्रभाव- उच्च स्तरीय ध्वनि प्रदूषण के कारण मनुष्यों में कई प्रकार की आचार व्यवहार संबंधी परिवर्तन हो जाती हैं। दीर्घ अवधि तक ध्वनि प्रदूषण के कारण लोगों में न न्यूरोटिक मेंटल डिसऑर्डर हो जाता है। मांसपेशियों में तनाव तथा खिंचाव हो जाता है।

(04) शारीरिक प्रभाव –  उच्च शोर के कारण मनुष्य विभिन्न विकृति एवं बीमारियों से ग्रसित हो जाता है जैसे – उच्च रक्तचाप, उत्तेजना, हृदय रोग, आंखों की पुतलियों में खिंचाव अथवा तनाव, मांसपेशियों में खिंचाव, पाचन तंत्र में अव्यवस्था, दमानसिक तनाव अल्सर जैसे पेट एवं आँतड़ियों के रोग आदि।

विस्फोटों तथा सुपर सोनिक  बूम के अचानक आने वाली उच्च ध्वनि के कारण गर्भवती महिलाओं में गर्भपात भी हो सकता है। लगातार शोर में जीवन यापन करने वाली महिलाओं के नवजात शिशुओं में विकृतियां उत्पन्न हो जाती है।

ध्वनि प्रदूषण रोकने के उपाय या ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण :-

ध्वनि प्रदूषण का संबंध व्यक्ति विशेष तथा मानव समुदाय दोनों से होता है। अतः इसका समाधान व्यक्तिगत सामुदायिक तथा शासकीय स्तर पर किया जा सकता है। ध्वनि प्रदूषण निवारण कार्यक्रमों में दो पक्षों को सम्मिलित किया जा सकता है –

  1. ध्वनि तथा शोर की तीव्रता को कम करना।
  2. ध्वनि एवं शोर नियंत्रण।

ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने का सर्वाधिक प्रभावी तरीका स्त्रोत बिंदुओं पर ही ध्वनि को नियंत्रित करना है। कुछ उपाय निम्नवत दिए जा रहे हैं –

  1. वृक्षों की कतार खड़ी करके ध्वनि प्रदूषण से बचा जा सकता है क्योंकि हरे पौधे ध्वनि की तीव्रता को 10 से 15 डेसीबल तक कम कर सकते हैं। महानगरीय क्षेत्रों में हरित वनस्पतियों की पट्टी विकसित की जा सकती है।
  2. प्रेशर हॉर्न बंद किए जाएं,  इंजन व मशीनों की मरम्मत लगातार हो। सभी तरह से ट्रैफिक का संचालन हो। शहरों के नए इलाके बनाते समय सही योजना बनाएं।
Best Essay on Pollution in Hindi / देखें प्रदूषण पर निबंध
Essay on Air Pollution in Hindi / वायु प्रदूषण पर निबंध हिंदी में
Essay on Water Pollution in Hindi / जल प्रदूषण पर निबंध हिन्दी में
Other Essays on Pollution along with Essay on Noise Pollution in Hindi

Essay on Noise Pollution in Hindi से जुड़े कुछ प्रश्नों के जवाब

क्या ध्वनि प्रदूषण पर यह निबंध 1000 शब्दों का है?

हां,यह Essay on Noise Pollution in Hindi लगभग 1500 शब्दों का है।

ध्वनि प्रदूषण पर निबंध लिखते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए

ध्वनि प्रदूषण पर निबंध लिखते समय ध्वनि किसे कहते हैं अथवा ध्वनि प्रदूषण क्या होता है इसके साथ ध्वनि प्रदूषण के कारण निवारण पर अधिक ध्यान देना चाहिए।

ध्वनि प्रदूषण किसे कहते हैं

हमारे वातावरण में ध्वनियों के कारण उत्पन्न हुए प्रदूषण को ध्वनि प्रदूषण कहते हैं।

क्या ध्वनि प्रदूषण पर यह निबंध हिंदी में है?

हाँ, इस Essay on Noise Pollution in Hindi को पूर्णतः हिंदी भाषा में लिपिबद्ध किया गया है।

आशा करता हूं कि हमारे द्वारा लिखा गया ध्वनि प्रदूषण पर निबंध आपको अच्छा लगा होगा आप जिस भी परीक्षा के लिए Essay on Noise Pollution in Hindi में लिखना चाहते हैं उन परीक्षाओं में हमारे द्वारा लिखा गया ध्वनि प्रदूषण से संबंधित यह निबंध आपके लिए उपयोगी होगा।

यदि आपको किसी भी विषय से संबंधित निबंध की आवश्यकता है तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स के माध्यम से आप विषय के बारे में हमसे निबंध लिखने को कह सकते हैं हम जल्द से जल्द उस विषय पर आपको निबंध प्रदान करने का प्रयत्न करेंगे।

Leave a Comment